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Wednesday, August 5, 2020

कबीर साहिब का जीवन

परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ जी का धरती पर अवतरण सन् 1398 विक्रमी संवत् 1455 ज्येष्ठ मास पूर्णमासी (शुद्धि) को काशी शहर के बाहर ‘‘लहर तारा‘‘ नामक सरोवर में कमल के फूल पर शिशु रूप में हुआ। आकाश से एक प्रकाश का गोला-सा आया और ‘‘लहर तारा‘‘ सरोवर के एक कोने में समाप्त हो गया। इस के प्रत्यक्ष दृष्टा स्वामी अष्टानन्द शिष्य स्वामी रामानन्द जी थे। वे प्रतिदिन सुबह वहाँ स्नान करके अपने गुरू स्वामी रामानन्द जी के मार्ग दर्शनानुसार साधना किया करते थे। यह दृश्य देखकर स्वामी अष्टानन्द जी को बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि जब अष्टानन्द जी ने उस प्रकाश पुंज्ज को देखा तो उसकी चर्म दृष्टि उस तेज को सहन न कर सकी। आँखें बन्द हो गई। उस समय उनको एक शिशु का रूप दिखाई दिया जैसे हम कभी सूर्य की ओर देखते हैं तो हमारी आँखें सूर्य के प्रकाश को सहन नहीं कर पाती। आँखें बन्द करते हैं या सूर्य से दूसरी ओर करते हैं तो हमें सूर्य का प्रकाश रहित आकार दिखाई देता है।

सी प्रकार अष्टानन्द जी को उस प्रकाश पंुज्ज में शिशु रूप दिखाई दिया था। इसका वास्तविक रहस्य जानने के लिए स्वामी अष्टानन्द जी उसी समय उठ कर स्वामी रामानन्द जी के पास चले गये।

काशी शहर में एक नीरू (नूर अली) नामक जुलाहा रहता था। उसकी पत्नी का नाम नीमा (नीयामत) था। वे निःसंतान थे। वे इसी जन्म में हिन्दू ब्राह्मण थे। उनको बलपूर्वक मुसलमानों ने धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बना दिया था। उनका गंगा में स्नान करना भी मना कर दिया था। वर्षा के मौसम में गंगा दरिया का स्वच्छ जल लहरों द्वारा उछल कर गऊ घाटों में से बाहर आकर तारा नाम नीचे स्थान में भर जाता था जो एक सरोवर का रूप ले लेता था। पूरे वर्ष वह जल स्वच्छ रहता था। इस कारण से उस तालाब को ‘‘लहर तारा‘‘ नाम से जाना जाने लगा। नीरू जिनका पूरा नाम नूर अली रखा गया था परन्तु वे नीरू नाम से ही अधिक जाने जाते थे तथा उनकी पत्नी ‘‘नीमा‘‘ जिनका पूरा नाम नीयामत रखा गया था परन्तु ‘‘नीमा‘‘ नाम से अधिक प्रसिद्ध हुई।

वे दोनों पति-पत्नी भी उस लहर तारा सरोवर में प्रतिदिन ब्रह्म महूर्त में स्नान करने के लिए जाते थे। (ब्रह्म महूर्त सूर्य उदय से लगभग 1) घण्टा पूर्व के समय को कहा जाता है) उन्होंने उस सरोवर में कमल के फूल पर एक शिशु को देखा और तुरन्त उठाकर अपने घर ले गये। जुलाहे के घर पर पलने की लीला करने व बड़े होकर जुलाहे का कार्य करके लीला करने के कारण परमेश्वर कबीर जी जुलाहा (धाणक) कहलाऐ।

मंत्र से भी ठीक नहीं हुआ था 
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Location:-Bundi, Rajasthan 323001, India
 🔴🔴अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखे जगत गुरु रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन साधना tv पर रात्रि 7:30 से 8:30  तक।

कबीर साहिब का जीवन

परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ जी का धरती पर अवतरण सन् 1398 विक्रमी संवत् 1455 ज्येष्ठ मास पूर्णमासी (शुद्धि) को काशी शहर के बाहर ‘‘लहर तारा‘‘ नामक...